Monday 10 December 2012

two friends



बोनी बन्दर और टोनी भालू दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. उनकी मित्रता की चर्चा पूरे चंपक वन में थी. दोनों एक दूसरे के लिए जान की बाजी लगाने को भी तैयार रहते थे. बोनी का अंगूरों का एक बगीचा था जिसके अंगूर बहुत मीठे और रसीले थे जबकि टोनी कपड़ों की सिलाई का काम करता था. बोनी हर रोज अपने बगीचे के अंगूर और टोनी के सिले हुए कपड़े बेचने बाजार जाता था. टोनी भी बोनी के बगीचे की देखरेख में उसकी बहुत मदद करता था. जब बोनी बाजार जाता तब टोनी ही उसके बगीचे की रखवाली करता था. टोनी के रहते किसी की हिम्मत न होती कि बगीचे से अंगूर चुरा सके. इस तरह दोनों का व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा था.

कुछ ही दिन पहले चंपा लोमड़ी चंपक वन में रहने आई थी. वह बहुत चालाक थी. जब उसे बोनी के मीठे और रसीले अंगूरों के बगीचे के बारे में पता चला तो उसका मन ललचा गया. 

वह सोचती " काश मुझे हर रोज ये मीठे-मीठे अंगूर खाने को मिल जाये तो रोज-रोज भोजन ढूंढने कि मेहनत से भी छुटकारा मिल जाये." 

उसने एक तरकीब सोची. उसने अपनी मीठी-मीठी बातो से टोनी और बोनी से दोस्ती बढ़ाई और उनका विश्वास जीता. 

एक दिन जब बोनी अंगूर और कपड़े बेचने बाजार गया तो चंपा टोनी के पास आई और बोली " बोनी भाई का जन्मदिन आने वाला है. आपने उनके लिए क्या खास सोचा है? " 

“खास तो कुछ नहीं. बस मैंने बोनी के लिए एक पोशाक सिली है वही उसे तौहफे में दूंगा." टोनी ने कहा. 

“सिर्फ पोशाक से क्या होगा? आपको उनके लिए केक और मिठाई भी लानी चाहिए. आखिर वो आपके सबसे अच्छे दोस्त है." चंपा ने कहा. 

“तुम बिल्कुल सही कहती हो चंपा बहन. पर ये सब तो शहर में मिलता है और इस तरह बगीचे को छोड़कर मैं शहर नहीं जा सकता." टोनी उदास होकर बोला. 

"आपने मुझे बहन कहा है तो क्या मैं आपके लिए इतना भी नहीं कर सकती. आप बेफिक्र होकर शहर जाइये और केक, मिठाई और सजावट का सामान ले आईये. शाम को बोनी भाई के आने से पहले लौट आइयेगा ताकि उन्हें कुछ पता न चले और ये टोकरियाँ भी ले जाइये क्योंकि आपके पास बहुत सारा सामान होगा." चंपा ने बोनी के बगीचे से अंगूरों को भरने वाली कुछ खाली टोकरियाँ टोनी को थमाते हुए कहा. 

टोनी चंपा की बातो में आ गया. चंपा को धन्यवाद कहकर वह शहर निकल गया. 

टोनी के जाते ही चंपा लोमड़ी अंगूरों पर टूट पड़ी. उसने भरपेट अंगूर खाए और बोली " वाह मजा आ गया इतने रसीले और मीठे अंगूर खा कर." 

उसने बहुत सारे अंगूर तोड़कर अपने घर में भी छिपा लिए. इसके बाद वह दौड़ी-दौड़ी बाजार पहुंची और बोनी के पास जाकर बोली " बोनी भाई बोनी भाई मैंने अभी-अभी टोनी भाई को बहुत सारे अंगूरों की टोकरियां भरकर शहर बेचने को ले जाते देखा है." 

“क्या बोल रही हो चंपा बहन. तुम होश में तो हो. टोनी बिना मुझे बताये ऐसा कोई काम कभी नहीं कर सकता." बोनी पूरे विश्वास से बोला. 

"आपको मुझ पर भरोसा नहीं तो आप खुद चल कर देख लीजिये. टोनी भाई वहां नहीं है." चंपा ने कहा. 

चंपा के बार-बार कहने पर बोनी अपना सामान बांध कर बगीचे पर आया. बगीचे पर टोनी नहीं था. बहुत सारे अंगूर और टोकरियाँ भी गायब थी. यह सब देखकर उसके होश उड़ गए. उसे बहुत दुःख हुआ और गुस्सा भी आया. 

“जिसे मैं अपना सबसे अच्छा दोस्त समझता था उसी ने मेरे साथ धोखा किया. अब मैं टोनी से कभी बात नहीं करूँगा. तुम टोनी के ये कपड़े उसे लौटा देना और कह देना कि आज से वह मेरे बगीचे की ओर आँख उठाकर भी न देखे." बोनी ने कपड़े चंपा के हाथों में देते हुए कहा. 

“ठीक है बोनी भाई. पर आप परेशान न होइए और घर जाकर आराम कीजिये." चंपा ने कहा. 

“तुम बहुत अच्छी हो चंपा बहन. अगर तुम ना होती तो मुझे टोनी की सच्चाई का पता कभी न चल पाता. मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं भूलूंगा." यह कहकर बोनी घर चला गया. 

कुछ देर बाद टोनी शहर से लौट कर बगीचे पर आया. उसके आते ही चंपा लोमड़ी उसके पास आई और बोली " टोनी भाई आप जब शहर गए थे तब बोनी भाई यहाँ आये थे." 

मैंने पुछा तो वे बोले "कई दिनों से मेरे बगीचे से अंगूर गायब हो रहे है. मैं ये देखना चाहता था कि मेरी अनुपस्थिति में टोनी अंगूरों का क्या करता है ?आज उसकी चोरी पकड़ी गयी. वह बिना मुझे बताये शहर जाकर अंगूर बेचता है." 

मैंने उन्हें बार-बार समझाया कि आप शहर उनके लिए केक और मिठाई लाने गए है पर उन्होंने मेरी एक न सुनी और ये कपड़े लौटा दिए और कहा " टोनी से कह देना आज के बाद मेरे बगीचे कि ओर आँख उठाकर भी न देखे." 

टोनी को यह सब जानकर बहुत गुस्सा आया . उसने सोचा " जिसे मैं अपना सबसे अच्छा दोस्त समझता हूँ वही मुझ पर भरोसा नहीं करता और मुझ पर शक करता है." 

गुस्से में टोनी केक और मिठाई वहीं पटक कर चला गया. चंपा लोमड़ी को मुफ्त का केक और मिठाई भी खाने को मिल गयी. 

अगले दिन बोनी पूरे दिन बगीचे पर ही था. चंपा वहां आई और बोली " बोनी भाई आज आप बाजार नहीं गए?" 

“मैं बाजार चला जाऊंगा तो बगीचे कि रखवाली कौन करेगा." उदास बोनी ने कहा. 

“मेरे रहते आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं. अगर आप चाहे तो अब से मैं आपके बगीचे कि देखरेख कर लूंगी. बस हाँ भोजन के समय मुझे घर जाना होगा." चंपा ने कहा. 

“भोजन के लिए तुम्हे कहीं ओर जाने कि क्या जरुरत है? जब भी तुम्हे भूख लगे तुम बगीचे से अंगूर खा लेना. तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो तो क्या मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकता." यह कहकर बोनी बाजार चला गया. 

बोनी और टोनी कई बार रास्ते में एक दूसरे को मिलते पर बिना बात किये आगे बढ़ जाते. बचपनके इतने अच्छे दोस्त अब एक दूसरे को फूटी आँख भी न सुहाते. पर जब से दोनों अलग हुए थे तब से ही उदास रहने लगे थे. दोनों के व्यवसाय में भी घाटा होने लगा था क्योंकि पहले तो टोनी बोनी के बगीचे की बहुत अच्छे से देखभाल करता था पर अब चंपा लोमड़ी इतना ध्यान नहीं देती थी और बहुत सारे अंगूर भी खा जाती थी. उधर टोनी अब खुद बाजार में कपड़े बेचने जाता था पर वह बेचने की कला में माहिर नहीं था इसलिए ज्यादा कपड़े नहीं बेच पाता. इस तरह दोनों बहुत परेशान रहने लगे. 

बोनी और टोनी की दोस्ती टूटने की खबर पूरे चंपक वन में फ़ैल गयी. सभी को बहुत आश्चर्य हुआ. 

जम्बो हाथी और लम्बू जिराफ दोनों चंपक वन में सबसे समझदार और वृद्ध थे. दोनों को जब ये खबर मिली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ. 

“जब से ये चंपा लोमड़ी आई है तभी से चंपक वन में सब कुछ उल्टा हो रहा है. कई जानवर चंपा की शिकायत भी लेकर आते है. जरुर चंपा ने ही कुछ किया होगा." जम्बो हाथी ने कहा. 

“आप बिल्कुल सही कहते हो जम्बो भाई. हमें टोनी और बोनी को वापस मिलाने और चंपा को सबक सिखाने के लिए कुछ सोचना चाहिए." लम्बू जिराफ ने कहा. 

दोनों ने एक उपाय सोचा. जम्बो हाथी बहुत अच्छा चित्रकार था. उसने बचपन से ही बोनी और टोनी की दोस्ती देखी थी. उसने अपने घर के एक कमरे की दीवारों पर बोनी और टोनी की दोस्ती को दर्शाते ,एक दूसरे को गले लगाते और एक दूसरे के साथ खेलते बोनी और टोनी के कई चित्र बनाये और बोनी और टोनी के घर अपने यहाँ दावत का निमंत्रण भेज दिया.जब शाम को बोनी और टोनी जम्बो हाथी के घर आये तो वहां कोई नहीं था और चारो तरफ उन दोनों के कई चित्र बने हुए थे. उन चित्रों को देखकर उनकी दोस्ती की यादें ताज़ा हो गयी और दोनों की आँखों में आंसू आ गए. पर फिर भी उन्होंने एक दूसरे से बात नहीं की और जाने लगे. तभी पीछे से जम्बो हाथी ओर लम्बू जिराफ आये. 

”बोनी और टोनी तुम दोनों को मैं बचपन से जानता हूँ और तुम्हारी दोस्ती को भी. तुम दोनों सपनेमें भी एक दूसरे का बुरा नहीं सोच सकते. जरुर तुम लोगो को कोई ग़लतफ़हमी हुई है. किसी दूसरे की बातो में आकर अपनी इतनी अच्छी दोस्ती मत तोड़ो. जो भी ग़लतफ़हमी है वह अभी दूर करो. मुझे बताओ क्या हुआ है?" जम्बो हाथी ने कहा. 

जम्बो हाथी की बात सुन दोनों ने जो-जो चंपा लोमड़ी ने उनसे कहा था वह सब बताया. सारी बाते सुनकर दोनों के आश्चर्य का ठिकाना नही रहा. उन्हें समझते देर न लगी कि चंपा लोमड़ी ने उन दोनों को झूठ बोलकर एक दूसरे के खिलाफ भड़काया था. उन्हें अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ. दोनों ने एक दूसरे से माफ़ी मांगी और एक दूसरे को गले लगाया और कहा 

" काका अगर आप दोनों न होते तो हमें कभी भी सच का पता न चलता. आपका बहुत बहुत आभार. अब हम उस चंपा लोमड़ी को नहीं छोड़ेंगे " यह कहकर दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और लाठी लेकर चंपा के घर की तरफ गए. 

चंपा ने जब दोनों को साथ-साथ लाठी लेकर आते देखा तो वह समझ गयी कि उसकी चोरी पकड़ी गयी है. वह दुम दबाकर भागने लगी. बोनी और टोनी ने तब तक उसका पीछा किया जब तक वह चंपक वन की सीमाओं से बहुत दूर ना चली गयी. इसके बाद बोनी और टोनी ने एक दूसरे से वादा किया कि अब वे किसी ओर की बातो में आकर अपनी दोस्ती कभी नहीं तोड़ेंगे. बोनी और टोनी फिर से हँसी-ख़ुशी रहने लगे. 

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